पीएम मोदी ने लिखा "बापू के सपनों का लेख" और कहा.....By निखिल रघुवंशी अनंतपुर

में निखिल रघुवंशी आज के इस ब्लॉग में आप सभी के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बापू के सपनों के भारत का लेख बताने जा रहा हूँ| आशा है आप सभी को पसंद आएगा| यह लेख २ अक्टूबर २०१८ को लिखा गया था| आइये जानते हैं ऐसा क्या कहा माननीय प्रधानमंत्री ने...




जैसा की हम सभी जानते हैं की २ अक्टूबर को महात्मा गाँधी की जयंती बड़े ही उत्साह के साथ मनाई गई थी| जिसके चलते भारत के माननीय प्रधानमंत्री ने गाँधी जी के सम्मान में एक लेख लिखा| उन्होंने महात्मा गाँधी जी के कुछ सपने हमारे सामने प्रकट किये हैं| प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा की गाँधी जी का यह सपना था| की भारत स्वच्छ और स्वस्थय रहे| इसके लिए में आपसे बिनती करता हूँ| की इसमें भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा स्वच्छ भारत अभियान में अपना योगदान दें| 

बापू के सपनों का लेख



इक्कीसवीं सदी में भी महात्मा गांधी के विचार उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके समय में थे और वे ऐसी अनेक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, जिनका सामना आज विश्व कर रहा है। एक ऐसे विश्व में, जहां आतंकवाद, कट्टरपंथ, उग्रवाद और विचारहीन नफरत देशों और समुदायों को विभाजित कर रही है, वहां शांति और अहिंसा के महात्मा गांधी के स्पष्ट आह्वान में मानवता को एकजुट करने की शक्ति है। ऐसे युग में, जहां असमानताएं होना स्वाभाविक है, बापू का समानता और समावेशी विकास का सिद्धांत विकास के आखिरी पायदान पर रह रहे लाखों लोगों के लिए समृद्धि के एक नए युग का सूत्रपात कर सकता है।

महात्मा गांधी ने एक सदी से भी अधिक पहले, मानव की  आवश्यकता और उसके लालच के बीच अंतर स्पष्ट किया था। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते समय संयम और करुणा, दोनों के पालन की सलाह दी, और स्वयं इनका पालन करके मिसाल पेश की थी। वह अपना शौचालय स्वयं साफ करते थे और आस-पास के वातावरण की स्वच्छता सुनिश्चित करते थे। गांधीजी यह सुनिश्चित करते थे कि पानी कम से कम बर्बाद हो और अहमदाबाद में उन्होंने इस बात पर विशेष ध्यान दिया कि दूषित जल साबरमती के जल में न मिले।



गांधीजी के व्यक्तित्व की सबसे खूबसूरत बात यह थी कि उन्होंने हर भारतीय को एहसास दिलाया था कि वे भारत की स्वतंत्रता के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने अध्यापक, वकील, चिकित्सक, किसान, मजदूर, उद्यमी, सभी में आत्म-विश्वास की भावना भर दी थी कि जो कुछ भी वे कर रहे हैं, उसी से वे स्वाधीनता संग्राम में योगदान दे रहे हैं।



करीब आठ दशक पहले जब प्रदूषण का खतरा इतना बड़ा नहीं था, तब महात्मा गांधी ने साइकिल चलानी शुरू की थी। जो लोग उस समय अहमदाबाद में थे, इस बात को याद करते हैं कि गांधीजी कैसे गुजरात विद्यापीठ से साबरमती आश्रम साइकिल से जाते थे। मैंने पढ़ा है कि गांधीजी के सबसे पहले विरोध-प्रदर्शनों में वह घटना शामिल है, जब उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में उन कानूनों का विरोध किया, जो लोगों को साइकिल का उपयोग करने से रोकते थे। कानून के क्षेत्र में एक समृद्ध भविष्य होने के बावजूद जोहानिसबर्ग में आने-जाने के लिए गांधीजी साइकिल का प्रयोग करते थे। ऐसा कहा जाता है कि जब एक बार जोहानिसबर्ग में प्लेग का प्रकोप हुआ, तो गांधीजी साइकिल से सबसे ज्यादा प्रभावित स्थान पर


पिछले चार वर्षों में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के जरिए 130 करोड़ भारतीयों ने महात्मा गांधी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। हर भारतीय के कठोर परिश्रम के कारण यह अभियान आज एक ऐसे जीवंत जनांदोलन में बदल चुका है, जिसके परिणाम सराहनीय हैं। साढ़े आठ करोड़ से ज्यादा परिवारों के पास अब पहली बार शौचालय की सुविधा है। 40 करोड़ से ज्यादा भारतीयों को अब खुले में शौच के लिए नहीं जाना पड़ता।




 चार वर्षों के छोटे से कालखंड में स्वच्छता का दायरा 39% से बढ़कर 95% पर पहुंच गया है। 21 राज्य व संघशासित क्षेत्र और साढ़े चार लाख गांव अब खुले में शौच से मुक्त हैं। यह अभियान आत्म-सम्मान और बेहतर भविष्य से जुड़ा है। यह उन करोड़ों महिलाओं के भले की बात है|

 जो हर सुबह खुले में दैनिकचर्या से निवृत्त होते समय मुंह छिपाती थीं। मुंह छिपाने की यह समस्या अब इतिहास बन चुकी है। साफ-सफाई के अभाव में जो बच्चे बीमारियों का शिकार बनते थे, उनके लिए शौचालय वरदान बना है।

Comments

Popular posts from this blog

पेट्रोल-डीजल के दाम, बेरोजगारी से ध्यान भटका रही सरकार, #MeToo पर बोले राज ठाकरे - निखिल रघुवंशी

अखंड रघुवंशी समाज के अध्यक्ष श्री चंद्रशेखर रघुवंशी जी ने बताया .. निखिल रघुवंशी

बॉलीवुड की ये मशहूर अभिनेत्रियां मैकअप के बिना लगती हैं ऐसी, इनकी असली तस्वीरें देखकर चौंक जायेंगे आप...