स्वामी सानंद का हुआ गंगा सफाई को लेकर निधन- By Nikhil

जैसा कि हमें पता है गंगा सफाई को लेकर पूरे भारत में चर्चाएं चल रही हैं और सरकार ने भी गंगा की सफाई के लिए बहुत बड़े बड़े अभियान शुरू कर दिए हैं लेकिन इनका कहीं असर दिखाई नहीं दे रहा है.. गंगा सफाई को लेकर जीडी अग्रवाल 111 दिनों से अनशन पर बैठे हुए थे उनका कहना था कि गंगा को पूरी तरह से जल्द से जल्द  स्वच्छ बनाया जाए

जोड़ी अग्रवाल के बारे में आखिर कौन हैं यह महान पुरुष :- जीडी अग्रवाल आईआईटी कानपुर  सिविल और पर्यावरण engineering विभाग के प्रमुख रहे. जीडी अग्रवाल को स्वामी सानंद के नाम से भी जाना जाता है उन्होंने अपने जीवन में बहुत बड़े बड़े अपने देश के लिए कार्य किए हैं
जीडी अग्रवाल पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव भी रहे इसके अलावा उन्होंने गंगा बेसिन प्राधिकरण का भी काम किया है.
जीडी अग्रवाल ने आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग की। इसके बाद रुड़की यूनिवर्सिटी में ही पर्यावरण इंजीनियरिंग के विजिटिंग प्रोफेसर भी थे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत उत्तरप्रदेश के सिंचाई विभाग में डिजाइन इंजीनियर के तौर पर की। बनारस में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के सान्निध्य में संन्यास दीक्षा ग्रहण की। इसके बाद जीडी अग्रवाल से स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद बन गए। इसी वजह से उनका नाम स्वामी सानंद पड़ गया.

जीडी अग्रवाल ने पहली बार की थी 2008 में हड़ताल :- 2008 में गंगा के अलावा अन्य नदियों की सफाई को लेकर जीडी अग्रवाल ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मांग की. उनका कहना था कि यदि गंगा और अन्य नदियों की पूरी तरह से साफ सफाई नहीं हुई तो मैं अपनी जान दे दूंगा. उनकी इस धमकी गया से केंद्र सरकार और राज्य सरकार पूरी तरह से सतर्क हो गई और गंगा समेत अन्य नदियों की पूरी तरह से सफाई के साथ साथ विद्युत परियोजनाओं को भी रद्द किया.

2012 में भी किया आमरण अनशन - अग्रवाल जी ने पहली बार 2012 में आमरण अनशन किया. उनका कहना था कि राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण का कोई आधार नही है. इसका वर्तमान में कोई लाभ देखने को नहीं मिल रहा. यह कहते हुए उन्होंने इसकी सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया। साथ ही, उन्होंने  अंदर से कोई अन्य सदस्यों को भी यही करने के लिए प्रेरित किया। पर्यावरण के क्षेत्र में उनकी प्रतिष्ठा को देखते हुए उनके हर उपवास को गंभीरता से लिया गया। और सरकार ने भी इसी वजह से कुछ हटकर फैंसले लिये.

2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लिया यह निर्णय - जैसे ही प्रचार-प्रसार के बाद नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला और उन्होंने जीडी अग्रवाल के अनशन को देखते हुए गंगा सफाई को लेकर नमामि गंगे जैसी परियोजना चलाईं. ऐसी परियोजनाओं का शुभारंभ देखते हुए स्वामी सानंद ने अपना अनशन तोड़ दिया.
लेकिन 2014 में प्रारंभ नमामि गंगे परियोजनाओं का आज तक कोई सफल परिणाम देखने को नहीं मिला. जैसे देखते हुए स्वामी सानंद ने 22 जून 2018 को एक बार फिर हरिद्वार के मातृ सदन आश्रम में अपना  अनशन चालू कर दिया. लेकिन इस बार इस अनशन का कोई सफल परिणाम देखने को नहीं मिला.

9 अक्टूबर को त्याग दिया था जल - उनकी इस गंभीर हालत को देखते हुए सरकार ने उन्हे एम्स मे हिरासत मे ले लिया. लेकिन उसके बाद भी उन्होंने भोजन नहीं किया कई बड़े बड़े डॉक्टरों ने भी उनसे आग्रह किया कि वह भोजन करें लेकिन उनके आग्रह का उन पर कोई असर नहीं पड़ा इसके बाद उन्होंने 9 अक्टूबर को जल त्याग भी कर दिया और फिर वे अपनी जिंदगी से हार गए.


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